कैसे निपटा जाए आतंकवाद से- 02
# तात्कालिक उपाय : धमाकों से सहमकर आम जनता पर बंदिशें लगाने के बजाय भारत सरकार को अमेरिका और इसराइल की तर्ज पर seek and destroy (ढूँढो और मारो) की नीति अपनाते हुए इन आतंक फैलाने वालों का सफाया कर उनमें पलटवार का ऐसा डर बैठाना चाहिए कि कोई भी आतंकवादी या आतंकी संगठन भारत और उसके नागरिकों को नुकसान पहुँचाने से पहले सौ बार सोचे। अंतरराष्ट्रीय दबाव की परवाह किए बगैर भारत सरकार को इस मुद्दे पर कठोर रुख अख्तियार करना होगा।
# आतंकवाद निरोधी कानून : आतंकवाद निरोधी कानून को पुख्ता बनाना होगा। हाल ही में अलग-अलग राज्यों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की जाँच और आगे निर्विघ्न कार्रवाई के लिए एक संघीय एजेंसी बनाई जाए। सुरक्षा बलों को आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में विशेष अधिकार दिए जाएँ। वर्तमान कानून इस समस्या से निपटने में प्रभावी नहीं है। आतंकवाद पर काबू पाने के लिए आतंकवादियों अथवा आतंकवादी संगठनों के समर्थको व शुभचिंतको पर भी कठोर कार्यवाई की जाना चाहिए। भारत में कानून बड़े पुराने हैं और अब प्रासंगिक भी नहीं रहे। आतंकवाद निरोधक कानूनों की समय-समय पर समीक्षा हो, जिससे जरूरत पड़ने पर आवश्यक बदलाव या फेरबदल संभव हो।
# दीर्घकालीन उपाय : भारत के संविधान ने सभी धर्मों को अपने धर्म के प्रचार, प्रसार व शिक्षा की स्वतंत्रता दी है, पर कई बार इसकी आड़ में बच्चों में बचपन से ही अलगाववाद की भावना भर दी जाती है। मुस्लिम मदरसे हों, सिख स्कूल हों, मिशनरी हों या हिन्दू पाठशाला, सभी के पाठ्यक्रम में एकरूपता लाई जाना चाहिए। कई बार बच्चों में दूसरे धर्मों के प्रति गलत व बुरी धारणाएँ बन जाती हैं, पाठ्य पुस्तकों के माध्यम से बच्चे के दिमाग में फैली भ्रांतियाँ दूर की जा सकती हैं।
# राजनीति : केन्द्र और राज्य सरकारों को भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश की सुरक्षा के बारे में सोचना होगा। सोचिए, 9/11 के बाद अमरीका में और 7/7 के बाद ब्रिटेन में कोई बडा आतंकवादी हमला नहीं हुआ। यहाँ तक कि स्पेन जैसे देश में मेड्रिड धमाकों के बाद कोई हमला नहीं हुआ। दूनिया के समक्ष देश की छवि एक कमजोर राष्ट्र की बन रही है। देश के निति निर्धारकों मे ईच्छाशक्ति की जो कमी है, उस से पार पाना होगा। वोट बैंक की चिंता किये बिना आतंकवाद से लरना होगा। क्योंकि नेता हो या आम आदमी सबका वजूद इस देश से है, इसकी सुरक्षा सर्वोपरि है।
# छदम धर्मनिरपेक्ष और मानवधिकार संघठन से पार पाना : छदम धर्मनिरपेक्ष और मानवधिकार संघठन से पार पाना होगा। इन संघठानो का सिर्फ एक काम बाकी रह गया है, पुलिस की मनोबल को तोड़ना। आज तक किसी आतंकवादी हमले की बाद इनका कोई बयान नहीं आया, लेकिन पुलिस कार्रवाई की बाद कोर्ट जाना, मोमबती लेकर मार्च करना इनका सगल बन गया हैं। आतंकवादी संगठनों के इन समर्थको व शुभचिंतको पर भी कठोर कार्यवाई की जाना चाहिए। इन व्यक्ति अथवा संस्थाओं पर वित्तीय प्रतिबंध लगाए जाना चाहिए।
......जारी।
Saturday, October 4, 2008
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3 comments:
lekin inme se yahan kuchh bhi nahi hoga jha sahab
साब, यह तो सबको पता है. इन हालातो में कुछ भी नहीं होने वाला. लेकिन क्या करे दिल तो हिन्दुस्तानी है न. मरते दम तक आशा रहेगा.
बहुत सही विचारा है. इन उपायों का भरपूर प्रचार किया जाना चाहिए. ऐसे और भी विचार भी खोजे जाने चाहिए.
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