आतंकवाद की समस्या अब न केवल व्यापक रूप धारण कर रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसमें आतंकवादियों के शामिल होने, अत्याधुनिक हथियारों, पेशेवर प्रशिक्षण तथा नेटवर्किंग के प्रयोग के साथ ही इसने नया रूप भी ले लिया है।
इस बीच दिल्ली पुलिस ने रविवार तड़के जामिया नगर इलाके से इण्डियन मुजाहिदीन के तीन संदिग्ध आतंककारियों जिया-उर-रहमान, मोहम्मद शकील और शाकिर निसार को गिरफ्तार किया। जिया-उर-रहमान के पिता और एल-18 फ्लैट की देखरेख करने वाले अब्दुल रहमान को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बाटला हाउस के संरक्षक अब्दुल रहमान को आतंककारी नहीं माना है। उसका आरोप है कि अब्दुल ने जामिया नगर के बाटला हाउस में आतंककारियों के लिए फ्लैट की व्यवस्था की थी, जिसमें पांच आतंककारी पिछले दो माह से रह रहे थे।
जिया-उर-रहमान जामिया मिलिया इस्लामिया में बी.ए. तृतीय वर्ष का छात्र है। वह विस्फोट के लिए उपयुक्त स्थलों की सूचनाएं एकत्र करता था। शकील जामिया मिलिया में ही एम.ए. (अर्थशास्त्र) द्वितीय वर्ष का छात्र है। जबकि शाकिर निसार सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय से दूरस्थ शिक्षा के जरिए एमबीए कर रहा है। शुक्रवार को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया आतिफ उर्फ बशीर कम्प्यूटर व अन्य तकनीकी कामों में माहिर था। उसने संचार प्रौद्योगिकी में बी.एससी. कर रखी थी। गिरफ्तार आतंककारियों के मुताबिक वही दिल्ली धमाकों का मास्टरमाइण्ड था। उनके मुताबिक वह धमाकों की पूरी योजना बनाता था।
हर धमाके के बाद यह लोग टीवी पर खबर सुनते हुए जश्न मनाते थे। जिसके रखे बम से ज्यादा लोग मारे जाते थे उसे विशेष बधाई दी जाती थी।इन लोगों के पास एक हिन्दी पत्रिका का अंक था, जिसके मुख पृष्ठ पर धमाकों में घायल एक बच्चे की तस्वीर के साथ शीर्षक लगा था "बेचारा और बेबस भारत"।इस तस्वीर और शीर्षक से यह उपहास उड़ाते हुए आनन्द लेते थे।
यह सारे वाकये इस बात की गबाही देती है, की आतंकवाद अब एक नशा बन चुकी है, जिसके गिरफ्त में पढ़े लिखे युवा पिड्डी अपनी मर्ज़ी से सामिल हो रही है। आतंकवाद लोकतंत्र, मानवता और एक सभ्य समाज के अस्तित्व के लिए खतरा बनता जा रहा है। आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए उत्तरदायी एजेंसियाँ को अपनी जिम्मेदारियों का निष्ठापूर्वक और कानून के दायरे से बाहर जाकर निर्वाह करना होगा। इन आतंकवादियों से उनकी ही जुबान में बात करने का समय आ गया है।
समय आ गया है की हम इन वतन्परस्तो को यह बता सके की इन बम धमाके में कोई हिन्दुस्तानी मरा नहीं है। वतन पे मिटने वालो को शहीद कहते है, शहीद कभी मरते नहीं......अमर होते है ।
समय आ गया है की हम इन्हें यह बता दे, की हिन्दुस्तान बेचारा और बेबस नहीं हैं।
Monday, September 22, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
खबरनामा को आपकी टिप्पणी की जरुरत हैं! कृप्या हमारा मार्गदर्शन करे! आपको टिप्पणी करने के लिए तहे दिल से अग्रिम धन्यवाद!!!