* लोकतंत्र के महापर्व में वाक्-चलीसा * आखिर क्यों फ़ेंका जरनैल सिंह ने जूता ? * लोकतंत्र का महापर्व और "कुछ ख्वाहिश" * "कश्मीरी पंडित" होने का दर्द * राजनेताओं हो जाओ सावधान, जाग रहा हैं हिंदुस्तान * जागो! क्योंकि देश मौत की नींद सो रहा हैं। * आखिर यह तांडव कब तक? * पाकिस्तानियों में अमेरिकी नीति का खौफ * खामोशी से क्रिकेट को अलविदा कह गया दादा * कैसे निपटा जाए आतंकवाद से- 01 * कैसे निपटा जाए आतंकवाद से- 02 * कैसे निपटा जाए आतंकवाद से- 03 * कैसे निपटा जाए आतंकवाद से- 04 * क्या इसे आतंकवाद न माना जाये ? * कही कश्मीर नहीं बन जाये "असम" * जेहाद या आतंकवाद का फसाद * बेबस हिन्दुस्तान, जनता परेशान, बेखबर हुक्मरान * ‘आतंकवाद की नर्सरी’ बनता आजमगढ़ * आतंकवाद का नया रूप * आतंकवाद और राजनीति *

Saturday, September 27, 2008

बेबस हिन्दुस्तान, जनता परेशान, बेखबर हुक्मरान

9/11 के बाद अमरीका में और 7/7 के बाद ब्रिटेन में कोई बडा आतंकवादी हमला नहीं हुआ। लेकिन राजनीतिक रुप से विफल इस देश में लगातार कई बम धमाके हुए हैं।

सही मायने में हम हिन्दुस्तानी आतंकवाद के खिलाफ लडाई में हार चुके हैं। हाल के दिनों में भारत में लगातार कई बम धमाके हुए हैं। हर घटना के बाद वादे किये जाते हैं, आतंकवाद पर काबू पाने की कसमे खाए जाती हैं। कथित मानवाधिकारवादी पुलिस का मनोबल तोड़कर आतंकवादियों का हौसला बढ़ा रहे हैं। हालाकिं कभी भी मानवाधिकारवादी आतंकवादी गतिविधियों का निंदा नहीं करते।

एक नज़र हाल के कुछ बड़े धमाकों पे-

# 27 सितम्बर 2008- देश की राजधानी दिल्ली के महरौली इलाके में एक बम विस्फोट, इस धमाके में चार लोगों के मरने की खबर है तथा कम से कम 17 लोग घायल हुए हैं।

# 13 सितंबर 2008 - दिल्ली के तीन बाज़ारों में सिलसिलेवार बम धमाके। 24 लोगों की मौत, सैकड़ों घायल। इंडियन मुजाहिदीन ने ज़िम्मेदारी ली.

# 26 जुलाई 2008 - गुजरात का अहमदाबाद शहर सिलसिलेवार धमाकों से दहला। कम से कम 16 धमाकों में 45 लोगों की जानें गईं.

# 25 जुलाई 2008 - भारत की आईटी सिटी बंगलौर में आठ धमाके, कम तीव्रता वाले इन धमाकों में एक महिला की मौत हुई जबकि घायलों की संख्या लगभग 15 थी।

# 13 मई 2008 - गुलाबी नगरी जयपुर दहली श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों से। भीड़भाड़ वाले इलाकों में सात धमाकों में कम से कम 63 लोगों को जान गंवानी पड़ी।

# 25 अगस्त 2007 - हैदरबाद में आतंकवादी हमले के लिए भीड़ भाड़ वाले इलाकों को चुना गया । इसमें 40 लोग मरे.

# 18 मई 2007 - जुमे की नमाज के वक्त हैदराबाद की ऐतिहासिक मस्जिद में धमाका। 11 लोगों की मौत। इसके बाद धमाकों के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान उग्र भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस फायरिंग में पांच की मौत.

# 19 फरवरी 2007 - भारत से पाकिस्तान जाने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में दो बम धमाके, 66 लोगों की मौत जिनमें ज्यादातर पाकिस्तानी थे।

# 8 सितंबर 2006 - महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास सिलसिलेवार धमाके हुए जिनमें कम से कम 32 लोग मारे गए।


# 11 जुलाई 2006 - मुंबई में ट्रेन में सिलसिलेवार सात धमाके हुए। 180 से ज्यादा लोग मारे गए।

# 7 मार्च 2006 - वाराणसी के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में तीन धमाके हुए। कम से कम 15 लोग मारे गए और 60 घायल हुए।

# 29 अक्टूबर 2005 - दिल्ली के सरोजिनी नगर बाज़ार में तीन धमाके। 66 लोगों की मौत।

# 15 अगस्त 2004 - असम में एक बम धमाका। 16 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। मरने वालों में ज्यादातर स्कूली बच्चे थे।

# 25 अगस्त 2003 - मुंबई में झावेरी बाजार सहित दो जगहों पर कार बम विस्फोट। 60 लोगों की मौत।

# 13 मार्च 2003 - मुंबई की लोकल ट्रेन में धमाका, 13 लोगों की मौत।


जेहादी आतंकवाद का जाल पूरे देश में फैल गया है तथा इस पर काबू पाने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। पुलिस को अब सेना जैसे विशेष अधिकार मिलने चाहिए ताकि वह बिना राजनीतिक दबावों के आतंकवाद को कुचल सके।

(सभी डाटा के लिए गूगल का आभार)

Tuesday, September 23, 2008

‘आतंकवाद की नर्सरी’ बनता आजमगढ़

सांकृत्यायन और कैफी का आजमगढ़ अब 'आतंकवाद की नर्सरी’ बनता जा रहा है। एक जमाने में इस्लामी शिक्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध आजमगढ़ आज आतंकवाद की काली साया में डरा सहमा अपने पहचान बनाये रखने के लिए तड़प रहा हैं। गुलाम भारत को आजाद कराने के लिए वर्ष 1857 की क्रान्ति में आजमगढ़ के वीर शहीदों वीर कुंवर सिंह, गोगा साव, भीखा साव और आजमशाह जैसे सेनानियों ने तिरंगा हाथों में थामा और इसे ऊँचा रखने के लिए जान की बाजी लगा दी। और आज उसी आजमगढ़ की मिंट्टी ने ऐसे कपुतो को पैदा किया की, सिमी के खतरनाक आतंकवादी अबु बशर और दिल्ली विस्फोटों में शामिल साजिद और आतिफ के नाम से बदनाम हो गया है आजमगढ़।


देश के तमाम हिस्सों में हुए बम धमाकों के तार ऐसे आजमगढ़ से जुड़े कि अब तो समूचे जनपद को शर्मशार होना पड़ रहा है। जनपद के सरायमीर थाना क्षेत्र का संजरपुर कस्बा सर्वाधिक चर्चा में है, क्योंकि मारे गए आतंकवादी इसी गांव के है। 45 लाख की आबादी वाले आजमगढ़ जिले में चन्द मुट्ठीभर लोगों के हावी होने से अब आजमगढ को आतंक का गढ़ कहा जाने लगा है। चन्द मुट्ठीभर लोगों ने लगभग 45 लाख की मिश्रित आबादी- हिन्दू, मुसलमान, सिख और ईसाइयों को इस कदर बदनाम किया कि हर कोई आज इन घटनाओं से शर्मशार है।

आजमगढ़ की गंगा जमुना संस्कृति कही खो सी गयी हैं। सांकृत्यायन, कैफी आजमी ,शिक्षाविद अल्लामा शिब्ली नोमानी, पंडित अयोध्याय सिंह उपाध्याय (हरिऔध) को भुला कर, आज यहां भटक गयी युवा पीढ़ी ने दाउद इब्राहिम, अबू सलेम, हाजी मस्तान और अब मुफ्ती अबू बशीर को अपना आदर्श बना लिया है जिससे इस जिले को आतंकवादियों की जननी कहा जाने लगा है।

आज उप्र के पूर्वांचल में स्थित जनपद आजमगढ़ आतंकवादी हमलों से आहत पूरे देश की निगाह में मुजरिम साबित हो रही हैं।

एक नजर आजमगढ़ की काली इतिहास पे-
* 1993 में मुम्बई बम धमाकों का आरोपी बना आजमगढ़ के सरायमीर निवासी अबु सलेम, जो अभी भी कारागार में बन्द है।
*आजमगढ़ के मुबारकपुर थाना क्षेत्र के बम्हौर गांव के बने देशी तमन्चे से ‘कैसेट किंग’ गुलशन कुमार की हत्या।
*अयोध्या में मारे गए आतंकी इमरान का फर्जी पासपोर्ट आजमगढ़ से बना मिलना।
*वाराणसी में गिरफ्तार पाक आतंकी वलीउल्लाह का डीएल भी आजमगढ़ में बना हुआ।
*वर्ष 2000 में पाकिस्तान का एक आतंकवादी शहर से पकड़ा गया।
*वर्ष 2007 में वाराणसी कचहरी में हुए बम धमाके का आरोपी हकीम तारिक कासमी गिरफ्तार किया गया।
*14 अगस्त 2008 को आजमगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र के बीनापारा से मुफ्ती अबुल बसर की गिरफ्तार हुई, जिसपर अहमदाबाद बम धमाकों का मास्टरमाइन्ड होने का आरोप है।

Monday, September 22, 2008

आतंकवाद का नया रूप

आतंकवाद की समस्या अब न केवल व्यापक रूप धारण कर रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसमें आतंकवादियों के शामिल होने, अत्याधुनिक हथियारों, पेशेवर प्रशिक्षण तथा नेटवर्किंग के प्रयोग के साथ ही इसने नया रूप भी ले लिया है।

इस बीच दिल्ली पुलिस ने रविवार तड़के जामिया नगर इलाके से इण्डियन मुजाहिदीन के तीन संदिग्ध आतंककारियों जिया-उर-रहमान, मोहम्मद शकील और शाकिर निसार को गिरफ्तार किया। जिया-उर-रहमान के पिता और एल-18 फ्लैट की देखरेख करने वाले अब्दुल रहमान को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बाटला हाउस के संरक्षक अब्दुल रहमान को आतंककारी नहीं माना है। उसका आरोप है कि अब्दुल ने जामिया नगर के बाटला हाउस में आतंककारियों के लिए फ्लैट की व्यवस्था की थी, जिसमें पांच आतंककारी पिछले दो माह से रह रहे थे।


जिया-उर-रहमान जामिया मिलिया इस्लामिया में बी.ए. तृतीय वर्ष का छात्र है। वह विस्फोट के लिए उपयुक्त स्थलों की सूचनाएं एकत्र करता था। शकील जामिया मिलिया में ही एम.ए. (अर्थशास्त्र) द्वितीय वर्ष का छात्र है। जबकि शाकिर निसार सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय से दूरस्थ शिक्षा के जरिए एमबीए कर रहा है। शुक्रवार को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया आतिफ उर्फ बशीर कम्प्यूटर व अन्य तकनीकी कामों में माहिर था। उसने संचार प्रौद्योगिकी में बी.एससी. कर रखी थी। गिरफ्तार आतंककारियों के मुताबिक वही दिल्ली धमाकों का मास्टरमाइण्ड था। उनके मुताबिक वह धमाकों की पूरी योजना बनाता था।

हर धमाके के बाद यह लोग टीवी पर खबर सुनते हुए जश्न मनाते थे। जिसके रखे बम से ज्यादा लोग मारे जाते थे उसे विशेष बधाई दी जाती थी।इन लोगों के पास एक हिन्दी पत्रिका का अंक था, जिसके मुख पृष्ठ पर धमाकों में घायल एक बच्चे की तस्वीर के साथ शीर्षक लगा था "बेचारा और बेबस भारत"।इस तस्वीर और शीर्षक से यह उपहास उड़ाते हुए आनन्द लेते थे।

यह सारे वाकये इस बात की गबाही देती है, की आतंकवाद अब एक नशा बन चुकी है, जिसके गिरफ्त में पढ़े लिखे युवा पिड्डी अपनी मर्ज़ी से सामिल हो रही है। आतंकवाद लोकतंत्र, मानवता और एक सभ्य समाज के अस्तित्व के लिए खतरा बनता जा रहा है। आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए उत्तरदायी एजेंसियाँ को अपनी जिम्मेदारियों का निष्ठापूर्वक और कानून के दायरे से बाहर जाकर निर्वाह करना होगा। इन आतंकवादियों से उनकी ही जुबान में बात करने का समय आ गया है।

समय आ गया है की हम इन वतन्परस्तो को यह बता सके की इन बम धमाके में कोई हिन्दुस्तानी मरा नहीं है। वतन पे मिटने वालो को शहीद कहते है, शहीद कभी मरते नहीं......अमर होते है ।

समय आ गया है की हम इन्हें यह बता दे, की हिन्दुस्तान बेचारा और बेबस नहीं हैं।

Saturday, September 13, 2008

फिर दहली दिल वालो की नगरी दिल्ली।

राजधानी दिल्ली में आज शाम पांच स्थानों पर हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में कम से कम 18 लोग मारे गए, तथा 90 से अधिक लोग घायल हो गये। रीगल, सेंट्रल पार्क और इंडिया गेट के पास जिंदा बम नाकाम किया गया हैं। कनॉट प्लेस, ग्रेटर कैलाश-1 और करौल बाग इलाकों में हुई इन विस्फोटों ने एक बार फिर से दिल्ली पुलिस की कलाई खोल दी।

एक बच्चे ने आतंकियों को देखने का दावा किया हैं। राहुल नाम के इस बच्चे ने पुलिस को जो विवरण दिया है, उसके अनुशार काले कुर्ता-पायजामा में थे। आतंकी धमाकों की जिम्मेदारी फिर से आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने ली है।

मैंने खबरनामा में अपने पिछले पोस्ट में लिखा था ," कुछ भी नही बदला हैं राजधानी दिल्ली में. आतंकियों का अगला निशाना बन सकती है दिल्ली." लेकिन लगातार मिल रही धमकियों के बावजूद न तो सुरक्षा व्यवस्था सुधारी गई, और न सतर्कता।

हमारे पुलिसया व्यवस्था की सबसे बरी खामी यह है की हम इंतज़ार करते है किसी बरी घटना के होने का। आतंकी मंसूबों के बारे में आईबी ने दिल्ली पुलिस को आगाह किया था। अगर दिल्ली पुलिस ने समय रहते एक्शन ली होती, तो आतंकी अपने मंसूबों में कामयाब न होते। हमेशा की तरह विस्फोटों के तुरंत बाद राजधानी में तथा आसपास के क्षेत्र में सतर्कता बढाने के साथ ही रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है।

एक अच्छी बात जो इन सिलसिलेवार बम धमाकों के बीच निकल कर आ रही है की, घायलों को शीघ्र अस्पताल पहुँचाने में जनता बढ़ चढ़ कर आगे आ रही है।


DELHI POLICE HELPLINE NO.- 011 23490312


 

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