राजधानी दिल्ली का विकास मार्ग आज एक हादसे का प्रत्यक्षदर्शी बना। अहले सुबह निर्माणाधीन मेट्रो रेल के एक बडे ढांचे के सडक पर आ गिरने से 5 व्यक्ति की मौत हो गई और 15 घायल हो गए। हादसा रविवार सुबह 6:55 मिनट पे हुआ। पहली नज़र में यह एक तकनीकी भूल लगती है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मेट्रो रेलवे ट्रैक के दो खंभों के बीच का हिस्सा रोबोटिक क्रेन के साथ जमीन पर आ गिरा। यह हिस्सा 15 फुट लंबा था।
रूट नंबर 39 की एक ब्लूलाइन बस, ट्रक और एक कार के मलबे की चपेट में आने से बस चालक सुरेन्दर पाल की मौके पर ही मौत हो गई। बाकी मरने वालो का अभी तक पहचान नहीं हो पाया है। दिल्ली मेट्रो के इतिहास में यह पहला मौका है जब निर्माणाधीन पूरा का पूरा ढांचा सडक पर आ गिरा हो।
हलाँकि दिल्ली मेट्रो सुरक्षा के लिए तमाम जरूरी सावधानी बरतती है। ऐसे में यह घटना परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए दिखाई जा रही हड़बड़ी के कारण हो सकती हैं। कही ऐसा तो नहीं राजधानी में वर्ष 2010 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए की जा रही जल्दबाजी और हड़बड़ी के कारण सुरक्षा को ताक पे रखा जा राह हो?
इस बीच दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के प्रोजेक्ट मैनेजर विजय आनंद ने दुर्घटना के लिए तकनीकी गडबडी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाएगी। उनके अनुसार मेट्रो रेल का ढांचा लगाते समय इसी तरह की लांचिंग का इस्तेमाल होता आ रहा है। लेकिन इस तरह का हादसा पहली बार हुआ है, जो इस बात का संकेत दे रहा है की यह घटना तकनीकी गडबडी का परिणाम हो सकता है,जिसकी वजह से एक हिस्से में पूरे लोहे का ढांचा और इसके साथ लगे स्लैब्स नीचे गिर गए।
यह घटना रविवार के सुबह हुआ। अगर यह घटना सोमवार से शनिवार के बीच हुआ होता, तो शायद तस्वीर ही कुछ और होती। और यही बात पूर्वी दिल्ली वासियों को राहत दे रही है।
Sumit K Jha
http://www.nrainews.com/
Sunday, October 19, 2008
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1 comments:
janta bewakoof hai, hakim unhe aise hi muavaja dete rahenge
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