राष्ट्र ने भुला दिया लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन को। भारत की स्वतंत्रता संग्राम मे मह्त्वपूर्ण योगदान देने वाले लौह पुरूष के जन्मदिन पर नहीं तो कोई सरकारी कार्यक्रम आयोजित हुई, और नहीं कोई विज्ञापन। भारत के एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल की योगदान को भुलाया नही जा सकता।
नडियाद, गुजरात में झवेरभाई पटेल एवं लदबा के घर 31 अक्तूबर, 1875 को बल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था। बल्लभभाई पटेल के माता-पिता कृषक थे। स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बडा योगदान खेडा संघर्ष में हुआ। लेकिन सरदार पटेल को लौह पुरूष के रूप मे स्थापित किया, देसी रियासतों के एकीकरण का उनका अभियान। भारत के 562 रजवाड़ो को भारत के संघराज्य में विलीन होने के लिए मजबूर कर दिया था, गुजरात के इस शेर ने।
लेकिन विडम्बना यह है कि आज उनके जन्म दिवस को उतना महत्व नहीं दिया जाता। हमेशा देश को अपनी महत्वाकांक्षा से बडा समझने वाली मनोवृति के इस लौह पुरूष को आज सरकार के साथ-साथ आम जनता भी भुला रही हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत रत्न जैसा सम्मान इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के भी बाद मिला। यह दुर्भाग्य नही तो और क्या हैं ?
सुमीत के झा (sumit k jha)
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Friday, October 31, 2008
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