कैसे निपटा जाए आतंकवाद से- 01
आतंकवादी हमले में अकसर एक ख़ास तरीके का इस्तेमाल किया जा रहा हैं। मसलन साइकिल का इस्तेमाल। कुछ अहम् बात जो इन हमले में निकल कर आ रही है....
# स्थानीय नागरिको की लिप्तता : अकसर देखा गया है कि आतंकवादियों द्वारा एक ख़ास वर्ग को धार्मिक एवं अन्य कारणों से भड़काकर, उकसाकर आतंकी घटना को अंजाम दिया जाता है। बिना स्थानीय नागरिको के मदद से कोई भी आतंकवादी हमला हो ही नहीं सकता।
# मौत के सामान की सहज उपलब्धता : हाल के आतंकवादी हमलो में इस्तेमाल की गई सभी सामान सर्वसुलभ थीं। साइकिल भारत के निम्न वर्ग का सबसे बड़ा आवागमन का साधन है, जिस पर कोई शक नहीं करता और इसे खरीदने के लिए कोई दस्तावेज नहीं देना पड़ते हैं। दूसरा है अमोनियम नाइट्रेट, जो भारत जैसे कृषिप्रधान देश में खेती के लिए आमतौर पर उपयोग में लाया जाता है। साथ ही पेट्रोल, टिफिन, नट-बोल्ट, छोटे गैस सिलेंडर, बॉल-बेरिंग जैसी वस्तुएँ तकरीबन रोजाना ही उपयोग में लाई जाती हैं।
# एक नयी ट्रेंड की शुरुआत: आतंकियों को बम कहीं से आयात नहीं करने पर रहे हैं, सब यहीं मिल जाता है। आयात होता है तो बस आतंक का विचारधारा। पहले बाकी सारे काम स्थानीय गुटों की मदद से छोटे अपराधी या ऐसे लोग जिन्हें आतंकवादियों द्वारा भड़का दिया जाता है, करते थे। अब विदेशी आतंकी संघठन का स्थान अपने लोगो ने ले लिया है। जो मासूम लोगों की भावनाओं को भड़काकर, उकसाकर आतंकी घटना को अंजाम देते है।
# सुरक्षा बलों की समस्या: शहरों में कानून-व्यवस्था पस्त हाल में है। उदाहरण के लिए जयपुर जैसे मध्यम शहर में 25 लाख की आबादी पर केवल 2500 का पुलिस बल तैनात है। सुरक्षा एजेंसियाँ भी आतंकवादी हमले के लिए प्रशिक्षित और मुस्तैद नहीं हैं। सुरक्षा इंतजाम पुख्ता न होने के कारण आतंकवादी घटनाओं को आसानी से अंजाम दिया जा रहा है।
# शांतिपूर्ण हल : शांतिपूर्ण हल की तो सोच भी बेमानी है। अतीत में हमने पंजाब समस्या, मिजो समस्या का हल शांतिपूर्ण तरीके से निकला था। लेकिन आज की हालात में आतंकवाद का भूमंडलीकरण हो चुका है,और इससे संपूर्ण मानवता आतंकित है।
# बल प्रयोग : आतंकवादियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाना चाहिए। इन्हें मदद दे रहे देशों के खिलाफ भी कठोर कदम उठाने से हिचकना नहीं चाहिए, जब अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई तालिबान से तंग आकर पाकिस्तान की सीमा में घुसकर तालिबान के खिलाफ सैनिक कार्रवाई की चेतावनी दे सकते हैं तो भारत सरकार क्यों बांग्लादेश और पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकती है? आतंकवादियों को बिरयानी खिलाने की नीत्ति छोरनी होगी। आतंकवादियों को आर्थिक,कानूनी और वैचारिक समर्थन देने वालो की खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाना चाहिए। संघीय एजेंसी और खुफिया तंत्रों में बेहतर तालमेल के लिए अधिकारियों को अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाए, जिससे अधिकारियों में सूचना तंत्र की समझ और नेटवर्क बढ़ाया जा सके।
........जारी।
Saturday, October 4, 2008
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1 comments:
Good presentation.
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