'शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के पिताजी खुद रोजी-रोटी की तलाश में मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र आए थे, इसलिए उनके परिवार को मुंबई में आजीविका की तलाश में आने वाले किसी भी व्यक्ति की पिटाई करने का हक नहीं है।
'यह दावा पुणे विश्वविद्यालय की महात्मा फुले पीठ के चेयरमैन और आम्बेडकर के बारे में गहरे जानकार प्रोफेसर हरि नार्के ने राकांपा के मुखपत्र 'राष्ट्रवादी' में प्रकाशित अपने लेख में किया है। गौरतलब है कि राकांपा के प्रमुख शरद पवार शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के मित्र हैं। नार्के ने इस लेख में मनसे प्रमुख राज ठाकरे द्वारा उत्तर भारतीयों के खिलाफ जारी हमलों की कड़ी आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे को अपने दादा यानी कि बाल ठाकरे के पिता प्रबोधनकर ठाकरे की आत्मकथा पढ़नी चाहिए। प्रबोधनकर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उन्होंने मध्यप्रदेश में अपनी पढ़ाई की और फिर वे आजीविका के लिए कई राज्यों में घूमे। नार्के ने कहा कि इस आत्मकथा से साबित होता है कि मुंबई को अपनी बपौती समझने वाला ठाकरे परिवार मुंबई का मूल निवासी नहीं हैे।
लेख में कहा गया है कि प्रबोधनकर ठाकरे का साहित्य संयोग से 1995 में महाराष्ट्र सरकार ने नार्के की इजाजत से ही प्रकाशित करवाया था। नार्के ने सवाल उठाया है कि जो लोग दो पीढ़ियों पहले रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई आए उन्हें मुंबई में काम की तलाश में आने वालों की पिटाई का हक किसने दिया? नार्के ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि जो लोग 24 घंटे इतिहास में डूबे रहते हैं वे भला सिर्फ दो पीढ़ी पहले के इतिहास को कैसे भूल सकते हैं।
सोर्स: भाषा,
Saturday, June 28, 2008
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1 comments:
When i heard this news that Bal Thackeray has made a comment like that about north Indians i was amazed ...How could he make such a biased Statement..
He must be given a a Copy of this information..
n this fact should be acknowledged by everyone-everywhere that none of the state in Our country belongs to any particular caste or community..
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