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Monday, June 30, 2008

फोर्ब्स वैश्विक रैंकिंग में भारत फिसला

मुद्रास्फीति और सरकार एवं उसके वामपंथी सहयोगियों के बीच मतभेद के कारण कम हुए निवेशकों के भरोसे के कारण कारोबारी माहौल के लिहाज से 121 देशों की सूची में भारत 12 अंक फिसलकर 64वें पायदान पर आ गया है।

फोर्ब्स द्वारा तैयार कारोबार के लिए सर्वश्रेष्ठ देशों की सूची में भारत 51वें पायदान से लुढ़क गया है, जबकि चीन पिछले साल के मुकाबले दो पायदान नीचे 79वें स्थान पर आ गया।इस सूची में डेनमार्क ने सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया है और पिछले साल के मुकाबले तीन पायदान ऊपर चढ़ा है, जिसके बाद आयरलैंड और फिनलैंड का स्थान है।

फोर्ब्स ने अपनी एक रपट में कहा कि भारत और चीन में राजनीतिक अस्थिरता के वैयक्तिक स्वतंत्रता के आड़े आने के कारण इस साल उनकी रैंकिंग गिरी है। खाद्य पदार्थों एवं अन्य जिंसों में मुद्रास्फीति और उद्यमियों पर बढ़ते दबाव ने भी विश्व के दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों को कारोबारी गंतव्य के तौर पर पीछे धकेल दिया।

डेनमार्क पिछले साल के मुकाबले तीन स्थान ऊपर ऑयरलैंड 19 स्थान ऊपर चढ़कर दूसरे नंबर पर फिनलैंड चार स्थान ऊपर चढ़कर तीसरे नंबर पर अमेरिका तीसरे स्थान से फिसलकर चौथे नंबर पर और ब्रिटेन पाँचवें नंबर पर है।

आयरलैंड की ही तरह एस्तोनिया 24 स्थान ऊपर चढ़कर 10वें नंबर और सऊदी अरब 37 स्थान छलाँग कर 47वें नंबर पर पहुँच गया है।हालाँकि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका एक अंक फिसल कर चौथे नंबर पहुँच गया है, जबकि एक अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्था ब्रिटेन ने अपना पाँचवाँ स्थान बरकरार रखा है।

फोर्ब्स ने कहा कि भारत सरकार ने विदेशी कारोबार और निवेश पर नियंत्रण कम कर दिया है। रपट में कहा गया कि सरकारी कंपनियों का निजीकरण रूका हुआ है और इस पर राजनैतिक बहस जारी है। संप्रग सरकार के आंतरिक और वामपंथी सहयोगियों के दबावों कारण आवश्यक पहल रुकी हुई है।फोर्ब्स ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या बुनियादी सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याएँ हैं।

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