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Saturday, July 5, 2008

आप करे तो सही, हम करे तो गलत ! "वाह रे धर्मनिरपेक्ष" !!!

कश्मीर में अमरनाथ शाईन बोर्ड को दी गई जमीन आख़िर कार वापस ले ली गई। और यह कोई नई बात नही है, कश्मीर की हालात को ध्यान से देखने वालो के लिए। काफ़ी हो हल्ला हुआ ,हिंसा का नंगा पर्दशन हुआ घाटी में। दलील ये दिया गया की ये हिंदुओ को घाटी मे बसाने और मुस्लिमो को अल्पसंख्यक बनाने की चाल है। अब कोई सवाल नही उठ रहा ही चालिस एकड मे कितने हिंदु बस जायेगे जो सारे कशमीर के मुस्लिमो को अल्पसंख्यक कर देंगे।

अब यहाँ अहम् सवाल ये उठता है की, हिन्दुओ के आस्था की पर्तीक अमरनाथ मंदिर को अगर चालीस एकड जमीन नहीं दी गयी, तो क्या ये धर्मनिरपेक्षता" है?? कश्मीर मे अमरनाथ शाईन बोर्ड को दी गई जमीन जो सिर्फ़ यात्रा के समय यात्रियो को रुकने और उनके लिये स्नानागार एंव शौचालय बनाने के लिये प्रयुक्त होनी थी पर इतना बडा बवाल, कहा तक उचित हैं??

जब कोई बंगलादेशी मुस्लिमो के आने से हिंदूओ के अल्पसंख्यक होने की बात करता है तो ये वोट के सौदागर सत्यता से आंख फ़ेर लेते है। आज देश के हर कोने में लाखों की संख्या में बंगलादेशी रह रहे है। जिस से देश का सामाजिक ताना बना बिगर रहा हैं। देश में बड़ी संख्या में मौजूद अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों से भारत की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर खतरा है। गृह मामलों की एक स्थायी संसदीय समिति की संसद में पेश नवीनतम रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसे हल्के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। सुषमा स्वराज की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर जाली नोटों का भी व्यापक वितरण हो रहा है। गृह मंत्रालय की अनुदान मांगों पर समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि समिति पूरी दृढ़ता से सिफारिश करती है कि सीमा पर होने वाली गतिविधियों की कड़ाई से निगरानी की जाए।

वांमपंथी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओ इस वक़्त में क्यों चुप हैं । मानवाधिकार कार्यकर्ता और वांमपंथी क्यो नही कभी इस बात को लेकर सरकार को घेरते है।

क्या यही "धर्मनिरपेक्षता" है ???

1 comments:

Anonymous said...

the aspiring journalist, mr sumit jha has raised a very inspiring topic. i personally aprisiate the post by the jounalist and hope that he will be doing very well in future.

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