खुशवंत सिंह मानसिक रुप से दिवालिया हैं, इसका सबूत दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित उनके एक लेख से मिलता हैं। शनिवार को दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित अपने एक लेख में खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलायें उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी के बारे में अभद्र टिप्पणी की हैं। साध्वी ऋतम्भरा के बारे में लिखते हुये खुशवंत सिंह ने मशहूर मनोविज्ञानी सुधीर कक्कड़ के हवाले से हिंदुस्तानी चरित्र का दोहरापन माना हैं। चारों महिलाओं पर आरोप लगाते हुये, खुशवंत सिंह लिखते हैं कि ये सेक्स कुंठा से जुड़ा हुआ हैं।
महिलाओं पर अभद्र,गैर-मर्यादित टिप्पणी के लिये खुशवंत सिंह खुख्यात रहे हैं। 93 साल के उम्र में अपनी सेक्स कुंठा को किसी और पर थोपने की यह चाल इस बात को इशारा करती हैं कि अब खुशवंत सिंह पूरी तरह से मानसिक दिवालिया हो गये हैं।
लेकिन लाख टके का सवाल, क्या खुशवंत सिंह पर कोई कारवाई होगी???
क्या महिलाओं के हित की बात करने वाली स्वयंसेवी संगठन इस मुद्दे को उठायेंगी???
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3 comments:
खुशवंत सिंह को मैं तो पत्रकार मानता ही नहीं. ये उनकी भड़ास है. मुझे तो वह खुद दोगले लगते हैं.नाम से ही सिख है यह बन्दा, बाकी सिखों जैसी कोई बात नहीं इसमें.
खुशवंत सिंह को कोई भी शिक्षित आदमी पत्रकार मान ही नहीं सकता। जिस आदमी को यह नहीं पता हो,कि महिलाओं की इज्जत कैसे की जाती हैं, वह पत्रकार हो ही नहीं सकता।
लग रहा है बुड्ढा जवानी के याद में डुबकी लगा रहा है . मै तो बस इतना कहूँगा बुड्ढा सठिया गया है..इस उम्र में लोग खुदा को याद करते है , खुशवंत बाबा सेक्स की सम्पूर्णता याद आ रही है ...बाबा की जय हो
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