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Saturday, May 9, 2009

जन गण मन रण है, भारत को बचा ले विधाता! क्या ये राष्ट्र-गान का अपमान हैं?

जन गण मन रण हैं।

इस रण में जख्मी हुआ हैं

भारत का भाग्य विधाता

पंजाब सिंध गुजरात मराठा

एक दुसरे से लड़कर मर रहे हैं,

इस देश ने हमको एक किया

हम देश के टुकड़े कर रहे हैं।

द्राविण उत्कल गंगा

खून बहा के

एक रंग का

कर दिया हमने तिरंगा

सरहदों पर जंग और

गलियों में फ़साद दंगा

विन्ध हिमाचल युमना गंगा

में तेजाब उबल रहा हैं।

मर गया सब का जमीर

जाने जब जिंदा हो आगे

फ़िर भी

तब शुभ नामे जागे

तब शुभ आशिष मांगे

आग में जल कर चीख रहा हैं

फ़िर भी कोई नहीं बचाता।

गावे तब जय गाथा।

देश का ऐसा हाल है

लेकिन आपस में लड़ रहे नेता।

जन गण मंगलदायक जय हे...

भारत को बचा ले विधाता।

जय है या फिर मरण है,

जन गण मन रण है ।


राम गोपाल वर्मा फ़िर एक बार विवाद में आ गये हैं। अपने आने वाली फ़िल्म "रण" को लेकर राम गोपाल वर्मा मिडीया और आम जनता के नजर में विलेन बन गये हैं। आरोप लगा हैं राष्ट्र-गान के अपमान का। ये माना जा सकता हैं कि कहीं ना कहीं राष्ट्र-गान का अपमान हुआ हैं रण के इस गाने में। लेकिन क्या राम गोपाल वर्मा जो कहना चाह रहे हैं गलत हैं??
जाने-अनजाने हम में से हर कोई कहीं ना कहीं राष्ट्र-गान का अपमान करता हैं। एक अहम सवाल जो मेरे मन में उठ रहा हैं कि क्या यह सचमुच राष्ट्र-गान का अपमान हैं? अगर हा तो फिर विरोध जताने का क्या उपाय होना चाहिये??


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1 comments:

वीनस केसरी said...

अपनी बात कहने के और भी तरीके होते है ऐसे विवादित विषय पर मैं क्या कहूं
बस एक ही शब्द है इसके लिए

अशोभनीय

वीनस केसरी

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