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Wednesday, April 8, 2009

लोकतंत्र का महापर्व और "कुछ ख्वाहिश"

भारतीय लोकतंत्र के महापर्व की तैयारियाँ चरमकाष्टा पर पहुँच चुकी हैं। साम, दाम, दंड, भेद………… हर हथकंडा अपनाया जा रहा हैं। सत्ता सुख से कोई महरुम नहीं होना चाहता हैं। वादे किये जा रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति खुब परवान चढ रही हैं। कोई हाथ काटने पर तुला हैं तो कोई सीने पर रोलर चलवाने पर। लेकिन इन सब के बीच आम आदमी की अवाज कही सुनने को नहीं मिल रहा। एक आम आदमी को क्या चाहिये, इस बात पर कोई भी राजनीतिक पार्टी ध्यान नहीं दे रही।

भारतीय राजनीति में अब सिर्फ़ वहीं खिलाड़ी टिक सकता हैं, जिसके पास अकूत पैसा हो। जिसके पास किसी खास वर्ग का वोट बैंक हो। इस वैश्विक वित्तीय संकट में राजनीति अपना प्रभाव
बढाकर पैसे कमाने का साधन बन गया हैं। खैर यह तो थी कुछ सत्य, जिससे हर कोई वाकिफ़ हैं। अब बात करते हैं, राजनीति से मुझे क्या चाहिये ? और यह मांग लगभग हर युवा हिंदुस्तानी का हैं।

(1) एक सरकार जो देश की गरीब, पीड़ित, संघर्षरत जनता का प्रतिनिधित्व करे।
(2) नेताओं के उम्र सीमा तय करे।
(3) तुष्टीकरण की नीति बंद करे।

4) युवा शक्ति को राजनीति में अहम किरदार प्रदान करे।
(5) सांप्रदायिकता और जातिवाद की राजनीति बंद करे।
(6) आपराधिक छवि के नेताओं के लिये लोकतंत्र के मंदिर के दरवाजे बंद करे।
(7) दलबदलू नेताओं को राजनीति से बाहर करे।
(8) आतंकवाद के खिलाफ़ सख्त कारवाई करे।

(9) विकलांगो के कल्याण के लिए योजना बनाये।
(10) हर बच्चा स्कूल जायें। शिक्षा की जिम्मेवारी सरकार की हों।
(11) क्षेत्रीय पार्टियों को केंद्र की राजनीति से दुर रखे।
(12) चुनावी काम में लगे सरकारी कर्मचारियों के लिये वोट डालने की समुचित इंतजामात किया जाये।
(13) वोट डालने को अधिकार नहीं, जिम्मेवारी घोषित किया जाये।
(14) आरक्षण की नीति को सिर्फ़ प्राइमरी लेवल तक रखा जाये। आरक्षण माली हलात पर हो, न की जात या धर्म के नाम पर्।
(15) काले धन पर सख्त कानून लाये।



ये "कुछ ख्वाहिश" हैं, जोकि भारतीय लोकतंत्र को एक गतिशील लोकतंत्र बना सकता हैं। अगर आप इनमे से किसी बात से सहमत ने हो, तो कमेंट के जरिये अपनी बात रखे।

2 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

pata nahin aisa kab hoga.

सुमीत के झा (Sumit K Jha) said...

hoga to zaroor sir....aaj nahi to kal....ummid par to duniya tiki hai....hum kyo naummid ho...

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