ज्यों-ज्यों लोकसभा चुनाव की तिथि नजदीक आ रही हैं, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति उफ़ान चढती जा रही हैं। वाकयुद्ध कुछ इस अंदाज से लड़ी जा रहीं हैं कि जैसे यह भारतीय लोकतंत्र की आखिरी लड़ाई हो। शुरूआत हुई पीलिभीत में दी गई वरुण गांधी की विवादास्पद बयान से। और आज तक इस में अनगिनत अध्याय जुट चुके हैं। लोकतांत्रिक मान-मर्यादा भुला कर हर कोई अपनी गुणगान और दुसरे की हजामत करने पर तुला हैं। और इन सब के बीच आम जनता की परेशानी और तकलीफ़ें कोई भी सुनने को तैयार नहीं हैं। विकास को मुद्दा बनाने को कोई भी राजनीतिक पार्टी तैयार नहीं दिख रही। आम आदमी का तो जैसे कोई हैसियत ही नहीं रखता।
स्वघोषित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बहन कुमारी मयावती जी इस बात को मनवाने पर तुली हैं कि मुख्तार अंसारी से बड़ा गरीबों का मसीहा कोई हैं ही नहीं। वाराणसी लोकसभा सीट से बसपा के उम्मीदवार मुख्तार अंसारी के अपराधिक रिकार्ड को बताना तो गोया सुरज को दीये दिखाने के समान हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश का बच्चा-बच्चा मुख्तार अंसारी के बायोडेटा से वाकिफ़ हैं। गौर करने वाली बात यह हैं कि ये बहन कुमारी मयावती जी ही थी जिन्होंने बिना सत्यता परखे हुई वरुण गांधी पर रासुका लगा दिया था। दुसरों को परवरिश के मायने सिखाने वाली आज एक माफ़िया को गरीबों का सब से बड़ा मसीहा बता रही हैं।(लोकसभा चुनाव पर नज़र रख रहे नेशनल इलेक्शन वाँच के मुताबिक बसपा ने उत्तर-प्रदेश में सब से ज्यादा 24 आपराधिक रिकार्ड वालों को अपना उम्मीदवार बनाया हैं।) अब बात करे समाजवादी पार्टी कि यहाँ आरोपों की राजनीति करने का ठेका अमर सिंह ने ले रखा हैं और इसमे उनका साथ दे रहे हैं संजय दत्त। केंद्रीय मिनिस्टर की स्टिंग आपरेशन की बात हो या फ़िर रोज रोज की आरोपो की बात। मीडिया में कैसे टिके रहना हैं कोई इन से सीखे। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमों "नेता जी" मुलायम सिंह यादव भी कुछ कम नहीं हैं, पहले ईटावा में महिला पुलिस अधिकारी को सरेआम जनता के मंच से धमकाना, और अब प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी पर बेइज्जत करने का इलज़ाम। यह साहब भी कुछ कम नहीं हैं।
बात करे बिहार की यहाँ वाकयुद्ध का ठेका ले रखा हैं, लालूप्रसाद जी और उनके धर्मप्तनी राबड़ी जी ने। लालू जी रोलर चला रहे हैं तो धर्मप्तनी तमाम मान मर्यादा को ताक पर रख कर बयान दी जा रही हैं। बिहार में विकास सबसे बड़ा मुद्दा बनना चाहिया था, क्योंकि आज की वैश्विवक हालातों में सब से ज्यादा पिछिड़ा राज्य बिहार ही हैं। लेकिन न तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन शासित नीतिश कुमार की सरकार और ना मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल विकास को मुद्दा बनाने को तैयार हैं।
दो प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ने भी वाकयुद्ध के लिये कमर कस रखा हैं। इन दोनों दलों में वाकयुद्ध की शुरुआत हुई सोनिया गांधी द्वारा नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कहने से। जो अब पहुँच चुका हैं 125 साल की बुढिया कांग्रेस तक। यहाँ कमान संभाल रखा हैं दोनों दल के प्रमुक नेताओं ने। अगर बात करे दक्षिण की तो यहाँ पुलिस ने मरूमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कषगम के महासचिव वाइको के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज कर लिया हैं। वाइको ने कहा था कि कहा था कि अगर श्रीलंका में लिट्टे प्रमुख वी. प्रभाकरण को थोड़ा भी नुकसान पहुंचाया गया, तो तमिलनाडु में खून की नदियां बह जाएंगी और यहां के युवा हथियार उठा लेंगे।
सवाल ये उठता हैं कि अगर नेतागण इतने उतवाले ही हैं आरोप-प्रत्यारोप को, तो फ़िर किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर क्यों नहीं??? अगर यह सारा ड्रामा किसी टीबी चैनल पर हो, तो देश की जनता भी तो देख पायेगी की किसे वह अपना प्रतिनिधित्व करने के लिये भेज रही हैं। हाँ, यहाँ यह कहा जा सकता हैं कि अधिकतर बयान किसी आमसभा में दी गयी हैं। लेकिन यह आपको भी पता हैं कि रैली में भीड़ कैसे इकठ्ठा की जाती हैं। अगर आपको यह लेख पसंद नहीं आया तो कमेन्ट जरूर लिखे!!!